नमस्कार मित्रों,
श्री यंत्र की महिमा से कौन अपरिचित है? जो भी सनातन धर्म, देव-देवियों, पुराणों और वैदिक परंपराओं में रुचि रखता है, वह निश्चित रूप से श्री यंत्र के बारे में जानता है। यह कोई साधारण यंत्र नहीं, बल्कि स्वयं सिद्ध और वैज्ञानिक दृष्टि से सिद्ध एक दिव्य यंत्र है, जिसकी ऊर्जा आधुनिक उपकरणों द्वारा भी प्रमाणित की जा चुकी है। अक्षय तृतीया पर पारद श्री यंत्र की स्थापना अत्यंत शुभ और फलदायी मानी जाती है। यह दिव्य यंत्र मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने का प्रभावशाली साधन है। इसकी पूजा से न केवल अक्षय धन और समृद्धि प्राप्त होती है, बल्कि घर में सकारात्मक ऊर्जा और सौभाग्य का भी वास होता है। शास्त्रों में भी इस दिन यंत्र स्थापना को विशेष महत्व दिया गया है।
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परिचय :
नमस्कार मित्रों,
श्री यंत्र की महिमा से कौन अपरिचित है? जो भी सनातन धर्म, देव-देवियों, पुराणों और वैदिक परंपराओं में रुचि रखता है, वह निश्चित रूप से श्री यंत्र के बारे में जानता है। यह कोई साधारण यंत्र नहीं, बल्कि स्वयं सिद्ध और वैज्ञानिक दृष्टि से सिद्ध एक दिव्य यंत्र है, जिसकी ऊर्जा आधुनिक उपकरणों द्वारा भी प्रमाणित की जा चुकी है।
अक्षय तृतीया पर पारद श्री यंत्र की स्थापना अत्यंत शुभ मानी जाती है। यह यंत्र मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने का प्रभावशाली माध्यम है। इस दिन इसकी पूजा से अक्षय धन, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का स्थायी लाभ मिलता है।
सनातन परंपरा में जितने भी यंत्रों की पूजा की जाती है, चाहे वे वाममार्ग के हों या दक्षिणमार्ग के, श्री यंत्र को उनमें सर्वोच्च स्थान प्राप्त है। इसकी पूजा, दर्शन और साधना करने वाला साधक मां त्रिपुर सुन्दरी की विशेष कृपा का पात्र बनता है।
हमारे पारद श्री यंत्र में लगभग 9०% शुद्धिकृत प्रसंस्कृत मर्क्युरी एवं शेष चांदी, विभिन्न औषधियां, जड़ी बूटियां व कुछ अन्य धातुंए मिलाई जाती हैं। अधिकतर धोखेबाज़ पारद निर्माता इस मिश्रण में शीशा व अत्यंत नकारात्मक, अशुद्ध एवं हानिकारक धातुएं मिलाते हैं। ओरिजिनल पारद जो “ओरिजिनल पारद” का एकमात्र निर्माता हैं। हमारी संस्था (ओरिजिनल पारद) इस बात की गारंटी लेती है कि इसमें ऐसा या इससे मिलता – जुलता कोई अन्य पदार्थ नहीं मिलाया गया हैं।
श्री यंत्र और महाविद्या षोडशी:
श्री यंत्र की पूजा, दस महाविद्याओं में से पंचम महाविद्या षोडशी की उपासना के अंतर्गत की जाती है। इसे श्री विद्या साधना कहा जाता है – एक अत्यंत गोपनीय, शक्तिशाली और विस्तृत प्रक्रिया। ग्रंथों में श्री यंत्र की पूजा, न्यास, ध्यान, आवरण पूजन और मंत्रोच्चार के साथ पूर्ण विधान बताया गया है।
श्री यंत्र में नौ आवरण होते हैं, जिनका पूजन अत्यंत विस्तृत और शक्तिशाली होता है – ठीक वैसे ही जैसे हमारे शरीर में नौ द्वार होते हैं। श्री विद्या साधना में कुल 68 शक्तियों का आह्वान एवं अर्चन होता है, और यह साधना कई घंटों तक चल सकती है।
किसे श्री विद्या का ज्ञान देना उचित है?
शास्त्रों में स्पष्ट रूप से कहा गया है:
“न देयं परशीष्येभ्यो नास्तिकानां न चैश्वरि।
शुश्रूषालसानां च नैवानर्थ प्रदायिनाम्॥”
अर्थात –
श्री विद्या का ज्ञान न तो दूसरे गुरु के शिष्य को देना चाहिए, न आस्तिकता से रहित व्यक्ति को, न जो इसके महत्व को न समझे, न ही जो इसे गलत उद्देश्य से प्राप्त करना चाहता है।
इसी संदर्भ में यह भी कहा गया है:
“तस्मादेवंविधं शिष्यं न गृह्णीयात् कदाचन।
यदि गृह्णाति मोहेन तत्पापैः प्यायते गुरुः॥”
अर्थात –
अगर कोई गुरु अयोग्य शिष्य को मोहवश श्री विद्या का ज्ञान देता है, तो वह स्वयं उसके पापों का भागी बनता है।
श्री यंत्र की ऊर्जस्विता और पारद से निर्मित श्री यंत्र का विशेष महत्व:
अब प्रश्न उठता है कि यदि श्री विद्या इतनी जटिल और विशिष्ट है, तो क्या हर कोई श्री यंत्र की साधना कर सकता है?
इसका उत्तर है – हां, यदि वह श्री यंत्र शुद्ध पारद से निर्मित हो।
पारद (पारा) एकमात्र ऐसा धातु है जो सामान्य तापमान पर द्रव रूप में रहता है और इसकी ऊर्जा किसी भी अन्य धातु से अत्यधिक होती है। यह धातु जैविक ऊर्जा का संचायक माना गया है। हमारे प्राचीन ऋषि-मुनियों ने पारद के साथ असंख्य प्रयोग किए, और इसे रसराज कहा गया।
शुद्ध पारद से निर्मित श्री यंत्र इतना ऊर्जावान होता है कि उसके लिए कोई विशेष पूजन विधि या लंबा कर्मकांड आवश्यक नहीं होता। केवल नियमित रूप से श्रद्धा से पूजन या ध्यान करने से ही वह पूर्ण फलदायक होता है।
पारद श्री यंत्र क्यों श्रेष्ठ है?
- पारद की ऊर्जा कभी क्षीण नहीं होती, यह लगातार ऊर्जावान रहता है।
- इसकी बनावट इतनी घनी होती है कि एक छोटा सा यंत्र भी भारी लगता है।
- पारद से बने यंत्र की ऊर्जा सोने, चांदी, तांबा या किसी रत्न से कई गुणा अधिक होती है।
- इसे केवल दक्षिण-पूर्व दिशा में या पूजा स्थान में स्थापित करना ही बहुत शुभ होता है।
“सूते गुणानां शतकोटिवज्ज्ञे चाभ्रे सहस्रं कनके शतैकम्।
तारे गुणाश्चेति तदर्धकान्ते तीर्थे चतुष्षष्टिरुवो तदर्धम्॥“
यहाँ शास्त्रों के अनुसार विभिन्न धातुओं और तत्वों की गुणात्मक शक्ति को बिंदुवार (pointwise) रूप में प्रस्तुत किया गया है:
- तांबा (Copper) – इसमें 32 गुण होते हैं।
- कच्चा लोहा (Raw Iron) – इसमें 40 गुण माने गए हैं।
- तीक्ष्ण लोहा (Refined/Sharp Iron) – इसके 64 गुण बताए गए हैं।
- चांदी (Silver) – चांदी में 80 गुण होते हैं।
- सोना (Gold) – इसमें 100 गुण होते हैं।
- अभ्रक और हीरा (Mica and Diamond) – इन दोनों में 1000 गुण बताए गए हैं।
- पारद (Purified Mercury) – इसमें सतकोटि (100 करोड़ या 1 अरब गुण) होते हैं, जो सभी धातुओं और रत्नों से अत्यंत श्रेष्ठ और ऊर्जा सम्पन्न माना गया है।
यह तुलना यह दर्शाती है कि पारद की ऊर्जा और प्रभावशीलता अन्य सभी धातुओं और रत्नों से अत्यधिक और अनुपम होती है।
“मृदाकोटिगुणं स्वर्णं, स्वर्णात् कोटिगुणं मणेः।
मणात् कोटिगुणं वाण्याः, वाण्यात् कोटिगुणं रसः॥“
हिंदी अर्थ (Meaning in Hindi):
मिट्टी से करोड़ों गुणा श्रेष्ठ सोना होता है,
सोने से करोड़ों गुणा श्रेष्ठ रत्न (मणि) होता है।
रत्न से करोड़ों गुणा श्रेष्ठ वाणी होती है,
और वाणी से भी करोड़ों गुणा श्रेष्ठ रस (रसना/भावना/रसिकता) होता है।
इस श्लोक और उसके भावार्थ को स्पष्ट रूप से क्रमबद्ध किया गया है:
- मिट्टी से बनी मूर्तियाँ, यंत्र या देव प्रतिमाएं – साधारण प्रभाव रखती हैं।
- सोने से बनी मूर्तियाँ/यंत्र – मिट्टी से बनी मूर्तियों की तुलना में करोड़ों गुना अधिक प्रभावशाली मानी जाती हैं।
- रत्नों (मणियों) से बनी मूर्तियाँ/यंत्र – सोने से बनी मूर्तियों से भी करोड़ों गुना अधिक प्रभाव रखती हैं।
- स्वयंभू उत्पन्न मूर्तियाँ (जैसे विष्णु जी के शालिग्राम, या नर्मदा से प्राप्त शिवलिंग) – रत्नों से भी करोड़ों गुना अधिक शक्ति और दिव्यता से युक्त मानी जाती हैं।
- पारद (शुद्ध मर्क्युरी) से बनी मूर्तियाँ और यंत्र – स्वयंभू मूर्तियों से भी करोड़ों गुना अधिक शक्तिशाली और प्रभावशाली होते हैं।
- पारद से निर्मित यंत्र और मूर्तियाँ, सभी अन्य धातुओं, रत्नों और यहां तक कि स्वयंभू देव प्रतिमाओं से भी अत्यंत श्रेष्ठ और शक्तिशाली मानी जाती हैं।
“लीनं भवेत् सर्वसिद्धिदायी विरजतेजः॒ नितरां रसेंद्रः॥“
हिंदी अर्थ (Meaning in Hindi):
जो (पारद) पूर्ण रूप से लीन हो (संयोजित और बंधित हो),
वह सर्वसिद्धियाँ देने वाला होता है।
वह विरज (निर्मल, निष्कलंक) तेज से युक्त होता है,
और उसे ‘रसेंद्र’ (रसों का राजा – अर्थात् पारद) कहा गया है।
यानि जो पारे को आप लीन करके जब शुद्ध पारद बना रहे है वह उस रसराज पारद की सदा सर्वदा जय होगी क्यूंकि वह ऐसा पारद समस्त समृद्धि का दाता है ऐसा रसराज पारद है।
पारद श्री यंत्र के अद्भुत लाभ (Parad Shree Yantra ke Fayde):
यदि शुद्ध पारद से निर्मित श्री यंत्र को विधिवत् पूजा स्थान में स्थापित किया जाए और श्रद्धा से पूजन किया जाए, तो इसके निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं:
1. धन और समृद्धि में वृद्धि:
श्री यंत्र को लक्ष्मी का प्रतीक माना गया है। यह आपके जीवन में स्थिर धन, वैभव और भौतिक सुखों को आकर्षित करता है।
2. नौकरी व व्यवसाय में सफलता:
व्यापार में रुकावट, घाटा या नौकरी में प्रमोशन की राह में अड़चन हो – श्री यंत्र उस ऊर्जा को प्रवाहित करता है जो बाधाओं को दूर करती है।
3. नकारात्मक ऊर्जा का नाश:
यह यंत्र घर या ऑफिस में फैली नकारात्मकता, बुरी नजर और दुर्भाग्य को दूर करता है। वातावरण को शुद्ध और सकारात्मक बनाता है।
4. मानसिक शांति और ध्यान की गहराई:
श्री यंत्र के समक्ष ध्यान करने से चित्त स्थिर होता है, चिंता और भय कम होते हैं। साधक धीरे-धीरे अंतरात्मा की ओर बढ़ता है।
5. घर में सुख-शांति का वास:
परिवार में कलह, तनाव, असंतुलन की स्थिति में श्री यंत्र सामंजस्य और सौहार्द लाने का कार्य करता है।
6. शक्तिशाली आध्यात्मिक उपकरण:
यदि आप साधना या श्री विद्या में रुचि रखते हैं, तो पारद श्री यंत्र आपके साधना-पथ को तेज़ करता है और देवी कृपा शीघ्र प्राप्त होती है।
7. वशीकरण एवं आकर्षण शक्ति:
शास्त्रों में उल्लेख है कि श्री यंत्र विशेष मंत्रों के साथ साधक को वशीकरण और आकर्षण शक्ति भी प्रदान करता है – किंतु इसके लिए नियमन और संकल्प अत्यंत आवश्यक है।
श्री यंत्र को लेकर एक विशेष चेतावनी:
आज बाजार में नकली पारद से बने हुए यंत्रों की भरमार है। नकली यंत्रों से न केवल लाभ नहीं मिलता, बल्कि कभी-कभी हानि भी हो सकती है। इसलिए केवल प्रमाणित स्रोत से ही शुद्ध पारद श्री यंत्र लेना चाहिए।
हमारी संस्था AstroDevam.com & OriginalParad.com ही भारत में प्रमाणित, शुद्ध और ऊर्जावान पारद श्री यंत्र बनाने का अधिकार रखती है। आप नीचे दिए गए लिंक के माध्यम से विभिन्न आकारों व प्रकारों में उपलब्ध श्री यंत्र देख सकते हैं।
निष्कर्ष:
श्री यंत्र कोई आम यंत्र नहीं, बल्कि स्वयं श्री विद्या का मूर्त रूप है। यदि यह शुद्ध पारद से निर्मित हो, तो यह आपके जीवन में समृद्धि, वैभव, शांति और आध्यात्मिक उन्नति का अद्भुत माध्यम बन सकता है। इसके लिए कोई जटिल विधि की आवश्यकता नहीं – बस श्रद्धा, नियम और सत्यता से इसका पूजन करें।
यदि आप वचन देते हैं कि इस दिव्य यंत्र की उपासना नियमपूर्वक करेंगे, तो हम आपको श्री यंत्र से जुड़ा गोपनीय वशीकरण मंत्र भी प्रदान करेंगे।
अब निर्णय आपका है – क्या आप उस ऊर्जा को अपने जीवन में आमंत्रित करना चाहते हैं, जो स्वयं देवी त्रिपुर सुन्दरी का आशीर्वाद लेकर आती है?
|| श्री यंत्राय नमः ||
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:
1. घर में कौन सा श्री यंत्र रखना चाहिए?
तो देखिए, श्री यंत्र तो वैसे हर रूप में शुभ होता है, लेकिन अगर आप घर के लिए सबसे प्रभावशाली और ऊर्जावान श्री यंत्र चाहते हैं, तो “शुद्ध पारद (Purified Mercury) से बना हुआ श्री यंत्र” सबसे उत्तम माना गया है। इसका कारण यह है कि पारद को हमारे शास्त्रों में रसराज कहा गया है – यानी सभी धातुओं और रत्नों में सबसे ऊर्जावान और दिव्य।
2. श्री यंत्र कितने रुपए का आता है?
श्री यंत्र की कीमत उसकी सामग्री, आकार और शुद्धता पर निर्भर करती है। तांबे का यंत्र ₹200–₹1000 में मिल सकता है, चांदी, स्फटिक या पंचधातु वाला ₹1000–₹7000 तक होता है, जबकि शुद्ध पारद श्री यंत्र ₹5000 से ₹50,000 या उससे ज्यादा का हो सकता है। सिद्ध (अभिमंत्रित) यंत्र थोड़ा महंगा होता है, पर उसका प्रभाव भी अधिक होता है। हमेशा किसी प्रमाणित स्रोत से ही खरीदें।
3. असली श्री यंत्र कैसे पहचाने?
असली श्री यंत्र की पहचान उसके शास्त्रानुसार बने संतुलित आकार, स्पष्ट रेखाओं और भारी, घनी बनावट से होती है। खासकर पारद से बने यंत्र चमकदार और वजन में भारी होते हैं। हमेशा किसी प्रमाणित और भरोसेमंद स्रोत से ही श्री यंत्र खरीदें।
4. श्री यंत्र कब स्थापित करना चाहिए?
श्री यंत्र को स्थापित करने का सबसे शुभ समय शुक्रवार, नवरात्रि, दीपावली, अक्षय तृतीया या किसी शुभ मुहूर्त में माना जाता है। विशेष रूप से शुक्रवार को मां लक्ष्मी का दिन होने के कारण यह दिन श्री यंत्र स्थापना के लिए अत्यंत उत्तम होता है। स्थापना से पहले यंत्र को गंगाजल या दूध से शुद्ध करें, फिर स्वच्छ स्थान पर लाल या पीले कपड़े पर स्थापित करें। यदि संभव हो तो किसी विद्वान ब्राह्मण से पूजन करवाएं, या स्वयं श्रद्धा और विधिपूर्वक पूजा करें।
5. श्री यंत्र को शुद्ध कैसे करें?
श्री यंत्र को शुद्ध करने के लिए सबसे पहले इसे गंगाजल या पवित्र जल से धो लें। इसके बाद इसे दूध या शहद से भी शुद्ध किया जा सकता है। फिर इसे स्वच्छ कपड़े से पोछकर लाल या पीले कपड़े पर रखें। शुद्धि के बाद, श्री यंत्र का पूजन करते समय इसे दीपक, अगरबत्ती और फूलों से अर्पित करें। यह विधि श्री यंत्र को ऊर्जा प्रदान करने और उसकी शुद्धता बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है।
6. श्री यंत्र किस धातु का होना चाहिए?
श्री यंत्र को शुद्ध पारद (पारा) धातु से बनवाना सबसे उत्तम माना जाता है, क्योंकि पारद की ऊर्जा अत्यधिक प्रभावशाली होती है। इसके अलावा, श्री यंत्र सोने, चांदी, तांबा, या शुद्ध धातुओं से भी बनाया जा सकता है, लेकिन पारद से बने यंत्र की विशेष ऊर्जा उसे अन्य धातुओं से कहीं अधिक प्रभावी बनाती है। शुद्ध पारद से बने श्री यंत्र का प्रभाव स्थिर और दीर्घकालिक होता है, जो साधना और पूजा में अधिक लाभकारी होता है।
7. क्या श्री यंत्र को घर में रखना अच्छा है?
जी हां, श्री यंत्र को घर में रखना बहुत शुभ होता है, खासकर अगर आप समृद्धि, शांति और सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव करना चाहते हैं। यह यंत्र घर में लक्ष्मी का वास करता है और घर के वातावरण को शुद्ध एवं सकारात्मक बनाता है। इसे घर के पूजा स्थान में या दक्षिण-पूर्व दिशा में रखा जाता है, जहां यह धन, सुख और समृद्धि को आकर्षित करने में मदद करता है। हालांकि, श्री यंत्र का पूजन श्रद्धा और सही विधि से करना जरूरी है, ताकि इसके लाभ सही तरीके से मिल सकें।
8. श्री यंत्र कैसे एक्टिवेट करें?
श्री यंत्र को एक्टिवेट करने के लिए सबसे पहले इसे शुद्ध और पवित्र स्थान पर स्थापित करें। फिर, इसे नियमित रूप से पूजा और ध्यान से अभ्यस्त करें। पूजा करते समय, श्री यंत्र के सामने दीपक जलाना, कपूर का प्रयोग करना और उसे पुष्प अर्पित करना शुभ होता है। इसके बाद, एक सही मंत्र का जाप करना बहुत महत्वपूर्ण है, जैसे “ॐ श्रीं ह्लीं श्री महालक्ष्म्यै नमः“। जब आप इसे श्रद्धा और ध्यान से करते हैं, तो श्री यंत्र की ऊर्जा सक्रिय होती है और यह आपके जीवन में समृद्धि और शांति लाने में मदद करता है।
ध्यान दें:
एस्ट्रोदेवम और OriginalParad.com ही असली पारद उत्पादों का एकमात्र स्रोत हैं और उन्हें भारत सरकार द्वारा प्रतिष्ठित शब्द ‘ओरिजिनल पारद’ का उपयोग करने का एकमात्र अधिकार दिया गया है।
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