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Importance of Parad Productsज्योतिष शास्त्र में, वैदिक रीतियों में, पूजन विधि में, रस शास्त्र में समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति में पारद से बने शिवलिंग एवं अन्य आकृतियों का स्पेशल महत्त्व होता है। पारद जिसे अंग्रेजी में एलम (Alum) भी कहा जाता हैं , एक तरल पदार्थ होता है और इसे ठोस रूप में लाने के लिए विभिन्न संस्कार में धातुओं जैसे कि स्वर्ण, ताम्र, रजत, सहित तरह तरह की जड़ी-बूटियों का उपयोग किया जाता है। इसे बहुत उच्च तापमान पर पिघला कर और कई धातुओं के साथ मिला कर, फिर उन्हें पिघला कर आकार दिया जाता है।

पारद को भगवान् शिव जी का स्वरूप माना गया है और ब्रह्माण्ड को जन्म देने वाले उनके वीर्य का प्रतीक भी पारद को माना जाता है। धातुओं में यदि पारद को शिव का स्वरूप माना गया है तो ताम्र को माता पार्वती का स्वरूप माना गया है । इन दोनों के समन्वय से शिव और शक्ति का सशक्त रूप उभर कर आ जाता है। ठोस पारद को जब उच्च तापमान पर गर्म किया जाता है। पारद के इस लिंग की महिमा का वर्णन कई पौराणिक ग्रंथों में जैसे कि पारद संहिता, रूद्र संहिता, रस्मर्तण्ड ग्रन्थ, शिव पुराण, ब्रह्म पुराण, आदि में पाया गया है।

पारद शिवलिंग जहाँ स्थापित होती है उसके 100 फीट के दायरे में उसका प्रभाव होता है I योग शिखोपनिषद ग्रन्थ में पारद के शिवलिंग को स्वयंभू भोलेनाथ का प्रतिनिधिक माना गया है। इस ग्रन्थ में इसे “महालिंग” की पदवी मिली है और इसमें शिव की समस्त शक्तियों का वास मानते हुए पारद शिवलिंग को सम्पूर्ण शिवालय की भी मान्यता मिली है ।

पारद शिवलिंग की स्थापना घर में रखने से सभी वास्तु दोष दूर हो जाते है I घर का वातावरण सुद्ध हो जाता है I इसका पूजन करने से संसार के समस्त द्वेषों से मुक्ति मिल जाती है। कई जन्मों के पापों से भी मुक्ति मिल जाती है । इसके दर्शन मात्र से समस्त परेशानियों का अंत हो जाता है। ऐसे शिवलिंग को समस्त शिवलिंगों में सर्वोच्च स्थान मिला हुआ है और इसका यथाविधि पूजा करने से शारीरिक, मानसिक, तामसिक या अन्य कई विकृतियां स्वतः ही समाप्त हो जाती हैं। घर में धन की वृद्धि और सुख और समृद्धि बनी रहती है।

इसे घर में स्थापित कर प्रतिदिन पूजा करने से घर में तंत्र का असर घर में नहीं होता और ना ही साधक पर किसी तंत्र क्रिया का असर पड़ता है I पौराणिक ग्रंथों में जैसे कि “रस रत्न समुच्चय” में ऐसा माना गया है कि चारों धामों में स्नान, 100 अश्वमेध यज्ञ, कई किलो स्वर्ण दान और एक लाख गौ दान से जो पुण्य मिलता है वो बस पारे के बने इस शिवलिंग के दर्शन मात्र से ही आराधक को मिल जाता है। पारद एक ऐसा शुद्ध पदार्थ माना गया है जो भगवान भोलेनाथ को अत्यंत प्रिय है। अगर आप अध्यात्म पथ पर आगे बढ़ना चाहते हों, ध्यान और योग में आपका मन लगता हो और मोक्ष की प्राप्ति की इच्छा हो तो आपको पारे से बने शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए। ऐसा करने से आपको मोक्ष की प्राप्ति भी हो जाती है।

पारद के शिवलिंग को शिव का स्वयंभू प्रतीक भी माना गया है। इसकी महिमा केवल शिवलिंग से ही नहीं बल्कि पारद के कई और अचूक उपयोग के द्वारा भी मानी गयी है। धातुओं में सर्वोत्तम पारा अपनी हीलिंग और चमत्कारिक प्रॉपर्टीज के लिए वैज्ञानिक तौर पर भी मशहूर है। रूद्र संहिता में रावण के शिव स्तुति की जब चर्चा होती है तो पारद शिवलिंग का विशेष वर्णन मिलता है। रावण को रस सिद्ध योगी भी माना गया है, और पारद के  शिवलिंग का पूजा कर उसने अपनी लंका को स्वर्ण की लंका में तब्दील कर दिया था।

पारद शिवलिंग की साधना से अगर आपके कुंडली मिएँ विवाह बाधा है तो वो दूर हो जाएगा I कुछ ऐसा ही वर्णन बाणासुर राक्षस के लिए भी माना जाता है। उसे भी पारे शिवलिंग की उपासना के तहत अपनी इच्छाओं को पूर्ण करने का वर प्राप्त हुआ था। ऐसी अद्भुत महिमा है पारे शिवलिंग की। आप भी इसे अपने घर में स्थापित कर घर में समस्त दोषों और कष्टों से मुक्त हो सकते हैं। लेकिन ध्यान अवश्य रहे कि साथ में शिव परिवार को भी रख कर नियमित पूजन करें।

Sacred Parad Products
पारद के कुछ सटीक उपायों का विवरण निम्नलिखित है, जिन्हें आप स्वयं प्रयोग कर सकते हैं:

    1. अगर कोई अध्यात्म पथ पर आगे बढ़ना चाहते हों, ध्यान और योग में आपका मन लगता हो और मोक्ष के प्राप्ति की इच्छा हो तो आपको पारद शिवलिंग की पूजन अवश्य करें । ऐसा करने से आपको ध्यान और योग में मन लगेगा और मोक्ष की प्राप्ति भी होगी।
    1. अगर आपको जीवन में कष्टों है, बीमारियों से आप ग्रस्त रहते हों, बड़ी-बड़ी बीमारियों से ग्रस्त हों तो पारद के शिवलिंग को यथाविधि पारद शिव परिवार के साथ पूजन करें। ऐसा करने से आपकी हर तरह की परेशानियां ख़त्म हो जाएंगी और बड़ी से बड़ी बीमारियों से भी मुक्ति मिल जाएगी।
    1. अगर आपको धन में वृद्धि चाहिए तो आपको पारे से बने हुए गणपति और लक्ष्मी को पूजा एक साथ एक स्थान में स्थापित करके करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि जहां पारे का वास होता है वहां माँ लक्ष्मी का भी वास हमेशा रहता है। पारे से बने हुए गणपति और लक्ष्मी की उपस्थिति मात्र से ही घर में धन लक्ष्मी का हमेशा वास रहता है।
    1. अगर आपके घर में क्लेश है और हमेशा अशांति बना रहता हो, अगर आप को नींद ठीक से नहीं आती हो, घर के सदस्यों में वैचारिक मतभेद बना रहता हो तो आपको पारद निर्मित एक कटोरी में जल डाल कर घर के मध्य भाग में रखना चाहिए। उस जल को रोज़ बाहर किसी गमले में डाल दें। ऐसा करने से धीरे-धीरे घर में सदस्यों के बीच मन मुटाव कम होने लगेंगे और में प्रेम बढ़ना शुरू हो जाएगा और मानसिक शान्ति भी होगी।
  1. अगर आप हृदय रोग से परेशान हैं, उच्च रक्तचाप से पीड़ित हैं या फिर अस्थमा, डायबिटीज जैसी जानलेवा बीमारियों से ग्रसित हैं तो आपको पारद से बना गुटिका या माला जिसे कि ब्रेसलेट भी कहते हैं, शुभ मुहूर्त में पहननी चाहिए। ऐसा करने से आपकी बीमारियों में सुधार तो होगा ही आप शान्ति भी महसूस करेंगे I

पारद को पाश्चात्य पद्धति में उसके गुणों की वजह से फिलोसोफर्स स्टोन (Philospher’s stone) भी बोला जाता है। आयुर्वेद में भी इसके कई प्रयोग हैं। पारे के शिवलिंग के पूजन की महिमा तो ऐसी है कि उसे बाणलिंग से भी उत्तम माना गया है।

जीवन की समस्त समस्याओं के निदान के लिए पारद के उपयोग एवं इससे सम्बंधित उपाय जानने के लिए हमारे अनुभवी ज्योतिषी अनिता बरनवाल या ज्योतिषी आचार्य कल्कि कृष्णन् से संपर्क करें।  यदि इनका आप यथाविधि अभिषेक कर, पूर्ण श्रद्धा से पूजन करेंगे तो जीवन से सभी कष्ट दूर हो जाएँगे तथा सुख और शान्ति अवश्य पाएंगे।